एक बच्चे को मिलने वाला ज्यादा दुलार दूसरे बच्चे के मन में डाल देता है दरार। कहीं इस भावना से टूट न जाए बालमन इसलिए दूर करें भाई-बहन के बीच पनपने वाली यह अनबन। में जानिए कि क्यों होता है ऐसा और कैसे करें इस रिश्ते को मजबूत। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और काउंसलर डॉ. दीपाली बत्रा के साथ विशेष बातचीत।
- माता-पिता की अलग-अलग बच्चों से अलग-अलग उम्मीदें रखते हैं।
- सिबलिंग राइवलरी के पीछे कई मनोवैज्ञानिक कारक काम करते हैं।
- बच्चों की उम्र और माता-पिता का व्यवहार परिवार का माहौल तय करता है।
पापा तो दीदी को ही प्यार करते हैं, मुझे मम्मी भी डांट लगाती हैं। दीदी को कोई नहीं डांटता और उसकी पसंद के खाने और सामान से भरा हुआ है घर। त्योहार पर बड़ी बेटी रोहिणी हास्टल से घर आई तो माता-पिता का सारा प्यार उसी को मिलने लगा। घर में मौजूद उसके छोटे भाई शिवम को महसूस होने लगा कुछ अकेलापन। जो तब नजर आया, जब रोहिणी ने भाईदूज को लेकर कुछ मजाक किया और गुस्से से लाल-पीला हो गया शिवम। यह है भाई-बहन के बीच होने वाली सिबलिंग राइवलरी, जो दो भाइयों के बीच भी हो जाती है।
सिबलिंग राइवलरी के कई कारण होते हैं जो बच्चों की उम्र, आवश्यकताओं और क्रोध पर नियंत्रण की क्षमता से प्रभावित होते हैं। बच्चों को मिलने वाला ध्यान, प्रशंसा और अनुशंसा भी इस द्वंद्व को बढ़ाते हैं। माता-पिता की अपेक्षाएं और उनके द्वारा भेदभावपूर्ण व्यवहार, जैसे कि किसी एक बच्चे को अधिक दुलार देना इस प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, जैसे कि यदि कोई बच्चा अधिक बीमार रहता है तो उसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है इससे अन्य बच्चों में यह भावना उत्पन्न हो सकती है कि उन पर कम ध्यान दिया जा रहा है। इस प्रकार, सिबलिंग राइवलरी के पीछे कई मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक कार्य करते हैं।