आज से कुछ साल पीछे जाएं तो मोबाइल की सेफ्टी के लिए सबसे जरूरी शर्त उसे पानी से बचाकर रखना होती थी। लेकिन, अब चीजें बदल चुकी हैं। आजकल ऐसे स्मार्टफोन आ रहे हैं, जो पानी में फोटोग्राफी भी कर सकते हैं। इन्हें बहुत देर तक गहरे पानी में डुबोकर भी रखा जा सकता है। अब सवाल है कि पिछले कुछ सालों में स्मार्टफोन कंपनियां ऐसा क्या सीख गईं, जिसकी बदौलत वह बेफिक्र होकर कहती हैं कि पानी उनके मोबाइल का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हम आज इसी के पीछे की साइंस को समझने की कोशिश करेंगे।
स्मार्टफोन को पानी से सेफ रखने की जिम्मेदारी होती है IP रेटिंग की, जिसे इंटरनेशनल प्रोटेक्शन रेटिंग भी कहते हैं। यही रेटिंग तय करती है कि फोन धूल और पानी से कितनी हद तक सेफ रह सकता है। IP रेटिंग दो अक्षरों (IP) और दो अंकों से मिलकर बनी होती है। इसमें पहला अंक 0 से 6 तक हो सकता है, जो ठोस चीजों के लिए है। दूसरा अंक तरल चीजों के लिए होता है, जैसे कि पानी-पसीना।
- IP67 रेटिंग वाले डिवाइस एक मीटर की गहराई तक 30 मिनट तक पानी में सुरक्षित होते हैं।
- IP68 रेटिंग वाले डिवाइस 1.5 मीटर की गहराई तक 30 मिनट तक पानी में सेफ रह सकते हैं।
कुछ डिवाइस को IPX8 जैसी रेटिंग भी मिली होती है, इसमें पहला अक्षर यानी एक्स-जिसका मतलब है कि डिवाइस को धूल वगैरह के लिए टेस्ट नहीं किया गया है। यहां धूल से मतलब ठोस पदार्थ है, जो ऊपर बताया गया है। आमतौर पर जिस डिवाइस को जितनी ज्यादा रेटिंग मिली होती है, वह उतना ही सेफ होता है। आजकल स्मार्टफोन्स को मिल्ट्री-ग्रेड सर्टिफिकेशन भी मिला होता है, जो एकदम नया ट्रेंड है। यह सर्टिफिकेशन सुनिश्चित करता है कि डिवाइस मुश्किल से मुश्किल सिचुएशन में भी सेफ रहे।