क्या आप जानते हैं कि आजकल कंपनियां पढ़े-लिखे और स्किल्ड यंगस्टर्स को भी जल्दी नौकरी से निकाल रही हैं? हाल ही में हुए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि Gen Z जनरेशन के युवाओं को नौकरी से निकाले जाने के पीछे कई कारण छिपे हैं। बता दें कि एक एजुकेशन और करियर कंसल्टेंसी प्लेटफॉर्म ने 1,000 हायरिंग मैनेजर्स पर एक सर्वे किया था। इस सर्वे में यह बात सामने आई कि युवा अक्सर ऐसी नौकरी चुन लेते हैं जो उनके लिए सही नहीं होती है या वे उस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं होते हैं। इसके अलावा, इस पीढ़ी में सही कम्युनिकेशन स्किल्स की भी कमी है वर्कप्लेस पर जल्दी नाराज होना भी इनसे जुड़ी एक बड़ी समस्या है।
हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चला है कि हर छह कंपनियों में से एक Gen Z जनरेशन के युवाओं को नौकरी देने में संकोच करती है। इसका बड़ा कारण यह है कि इन कंपनियों को जेन-जी एम्प्लॉयीज के परफॉर्मेंस से संतुष्टि नहीं मिल रही है। यह सर्वे इस बात का संकेत देता है कि भविष्य में भी कंपनियां जेन-जी को नौकरी देने में डाउट में रह सकती हैं। बता दें कि जेन-जी जनरेशन में 1997 और 2012 के बीच पैदा हुए लोग शामिल हैं।
सर्वे में सामने आया कि 50% से ज्यादा हायरिंग मैनेजर्स Gen Z जनरेशन में मेहनत करने की लगन नहीं देख पाते हैं। इसके अलावा यह पीढ़ी दूसरों के साथ बातचीत करने और काम के दौरान आने वाली मुश्किलों को संभालने के लिए सही ढंग से तैयार नहीं है। यानी कुल मिलाकर ये लोग कंपनी की जरूरतों के मुताबिक काम नहीं कर पाते हैं। अध्ययन बताता है कि जेन-जी वर्कप्लेस और बॉस को लेकर भी अवास्तविक अपेक्षाएं रखते हैं। इसके अलावा इन लोगों को दूसरों के साथ घुल मिलकर काम करना भी नहीं आता है।
मानें, तो युवाओं को नौकरी पाने के लिए कंपनियों की जरूरतों को समझना बेहद जरूरी है। कंपनियां ऐसे युवाओं की तलाश में रहती हैं जो पॉजिटिव अप्रोच रखते हों और नई चीजें सीखने के लिए एक्साइटेड रहते हों। साथ ही, समय का पाबंद होना और सोशल मीडिया के साथ-साथ पॉलिटिक्स से दूरी बनाए रखना भी जरूरी है। इंडीड और नैसकॉम की ‘फ्यूचर ऑफ वर्क 2024” रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 30 करोड़ से ज्यादा जेन अल्फा युवा नौकरी में शामिल होने के लिए तैयार होंगे। 2010 के बाद जन्मे ये युवा, कम उम्र से ही प्रोफेशनल लाइफ की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।