औद्योगिक संगठनों ने आगामी बजट में बैंकों से मिलने वाले कर्ज से जुड़े प्राथमिक सेक्टर की सूची में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे उभरते सेक्टरों को शामिल करने की मांग की है। अभी कर्ज से जुड़े प्राथमिक सेक्टर में कृषि, शिक्षा, एमएसएमई मुख्य रूप से शामिल है। उद्योग संगठन सीआईआई का कहना है कि जीडीपी विकास में कृषि की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है,
जबकि प्राथमिक सेक्टर के कर्ज का 18 प्रतिशत कृषि को दिया जाता है। यह हिस्सेदारी तब निर्धारित हुई थी, जब जीडीपी विकास में कृषि की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत थी। उद्योग जगत का मानना है कि एआई, ग्रीन एनर्जी, ईवी जैसे सेक्टर दुनिया भर में तेजी से उभर रहे हैं और इस सेक्टर पर विशेष ध्यान नहीं देने पर भारत इनमें पिछड़ सकता है।
इससे इन उत्पादों के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ेगी। एआई, ग्रीन एनर्जी, ईवी जैसे सेक्टर की अनदेखी भी नहीं की जा सकती है क्योंकि ये कार्बन उत्सर्जन से जुड़े हुए हैं। भारत भी कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की प्रतिबद्धता से जुड़ा हुआ है। यह सेक्टर मैन्युफैक्चरिंग पर आधारित है। यदि इन सेक्टर्स पर विशेष ध्यान दिया जाता है तो बड़ी संख्या में रोजगार का भी सृजन होगा।
उद्योग संगठन का कहना है कि कर्ज से जुड़े प्राथमिक सेक्टर के नियमों में बदलाव जरूरी है और सरकार चाहे तो एक कमेटी का भी गठन कर सकती है। उद्यमियों का कहना है कि बजट में इलेक्ट्रिक कार की खरीदारी के लिए बैंकों से मिलने वाले लोन में सरकार की तरफ से विशेष रियायत मिलनी चाहिए। इसका कारण यह है कि इलेक्टि्रक कार की खरीदारी पर इलेक्ट्रिक दोपहिया की तरह सरकार से कोई सब्सिडी भी नहीं दी जाती है।