गोल्ड ऐसी धातु है, जिसकी हमेशा दुनियाभर में अपनी एक अलग अहमियत रही है। इसके आभूषण पहनने का शौक आम महिलाओं से लेकर राजा महाराजों तक रहा। लेकिन, इसकी सबसे अहम भूमिका रही मौद्रिक प्रणाली में। आज भी किसी देश की आर्थिक ताकत का अंदाजा इस बात से लगता है कि उसके पास कितना गोल्ड भंडार है। कभी-कभी तो सरकारें सोना गिरवी रखकर कर्ज भी लेती हैं। आम लोग भी अक्सर गोल्ड लोन लेते हैं।
ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि गोल्ड लोन कैसे लिया जाता है, इसे कहां से लेना लिया जाता है और गोल्ड लोने लेते वक्त किन बातों का ख्याल रखना चाहिए। आप बच्चों की पढ़ाई, शादी या फिर इमरजेंसी में मेडिकल खर्च जैसे कामों के लिए गोल्ड ले सकते हैं। इसे दूसरे अन्य लोन की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, गोल्ड लोन लेना तभी सही होता है, जब कुछ वक्त के लिए ही पैसों की दरकार हो।
यह चीज आपकी सहूलियत पर निर्भर करती है। बैंक में कम ब्याज दर पर गोल्ड लोन मिल जाता है। वहीं, नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFC) ब्याज ज्यादा लेती हैं, लेकिन कर्ज की रकम भी ज्यादा देते हैं। NBFC का मुख्य धंधा ही सोने के बदले कर्ज देना होता है, इसलिए वहां गोल्ड लोन जल्दी अप्रूव भी हो जाता है। हालांकि, आपके कर्ज लेने से अलग-अलग बैंकों और NBFC में ब्याज दर पता कर लेनी चाहिए।गोल्ड लोन की अच्छी बात है कि यह अनसिक्योर्ड लोन जैसे पर्सनल लोन, प्रॉपर्टी लोन, कॉर्पोरेट लोन की तुलना में सस्ता पड़ता है।
गोल्ड लोन में भी दूसरे आम लोन की तरह प्रोसेसिंग फीस लगती है, जो बैंकों और NBFC के हिसाब से अलग-अलग होती है। कुछ वित्तीय संस्थान इसमें रियायत भी देते हैं। प्रोसेसिंग फीस पर GST भी लगता है।कुछ बैंक वित्तीय संस्थान वैल्यूएशन फीस भी लेते हैं, जिसकी शुरुआत 250 रुपये से होती है। सर्विस चार्ज, SMS चार्ज और सिक्योर्ड कस्टडी फीस जैसे कुछ अन्य खर्चे भी होते हैं।