धार्मिक ग्रंथ रामायण में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है और माता सीता की पवित्रता को दिखाया गया है। इसके अलावा लक्ष्मण और भरत का अपने भाई के प्रति प्रेम का उल्लेख किया गया है। रामायण के द्वारा व्यक्ति को जीवन में कई तरह की सीख मिलती है। रामायण के अनुसार, दशानन रावण ने माता सीता का अपहरण किया था। लक्ष्मण ने ज्ञान, तप, भक्ति से सिद्धियां प्राप्त की हुईं थीं, जिससे उनके भीतर एक शक्तिशाली ऊर्जा का संचार हुआ,
जिससे उन्होंने माता सीता की रक्षा के लिए एक रेखा खींची थी, जिसे लक्ष्मण रेखा के नाम जाना जाता है। जब रावण माता सीता के अपहरण के लिए आया तो, वह लक्ष्मण रेखा को लांघ नहीं पाया। ऐसे में सवाल उठता है कि इतना शक्तिशाली होने के बाद भी लंकापति रावण लक्ष्मण रेखा को क्यों नहीं लांघ पाया था? ऐसे में आइए इस आर्टिकल में बताते हैं इस सवाल के जवाब के बारे में।
रावण ने माता सीता का अपहरण करना चाहता था। उसने वनवास के दौरान मामा मारीच की मदद ली थी और मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण किया। जब वह हिरण माता सीता को दिखाई दिया, तो उन्होंने राम जी से कहा कि वे हिरण उनके पास ले आए। इसके बाद राम जी हिरण को पकड़ने चले गए। हिरण भागे जा रहा था, तो ऐसे में राम जी को समझ आ गया कि हिरण कोई राक्षस है।
ऐसे में राम जी ने मारीच को तीर मारा। तीर लगने पर मारीच ने असली रूप धारण किया। इस दौरान मारीच ने प्रभु श्रीराम से मदद मांगी। यह आवाज माता सीता को सुनाई दी, तो ऐसे में लक्ष्मण जी ने राम जी की मदद के लिए जंगल में जाने का विचार किया। जंगल में जाने से पहले उन्होंने माता सीता की कुटिया के चारों तरफ रेखा का निर्माण किया।
लक्ष्मण रेखा में अधिक शक्ति थी, जिसकी वजह से इतना शक्तिशाली और बलशाली होने के बाद रावण रेखा को लांघ नहीं पाया। रावण कोवेदों-शास्त्रों का ज्ञान था। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मण रेखा को मंत्रों के जप के द्वारा बनाई गई थी। जंगल में वनवास के दौरान लक्ष्मण जी प्रत्येक दिन योग और साधना किया करते थे, जिससे उन्हें शक्ति प्राप्त हुई और लक्ष्मण रेखा बनाई। लक्ष्मण रेखा को लांघने के बाद दशानन रावण भस्म हो जाता।