आज के समय हर कोई व्यक्ति चाहता है कि आने वाला नया साल सुख-समृद्धि से भरा रहे। साथ ही उसके सोचे काम पूरे हो। ऐसे में व्यक्ति कई तरह के उपाय की मदद लेता है। इससे व्यक्ति को नववर्ष में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही कई लोग नए साल के दिन कुछ कामों को लेकर नए संकल्प लेते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि आने वाले नए साल में जीवन में सफलता मिले, तो धार्मिक ग्रंथ रामायण और महाभारत की सीख को जीवन में जरूर अपनाएं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम राजा दशरथ के पुत्र थे। इसी वजह से उन्हें अध्योया की राजगद्दी सौंपी जानी थी, लेकिन माता कैकेयी के कहने पर भगवान श्री राम ने राजगद्दी न लेने का फैसला लिया और वनवास के बारे में सोचा। इससे यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को जीवन में हमेशा माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए, क्योंकि उनके आदेश का पालन करना ही सबसे पहला धर्म है। ऐसे में नए साल में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि माता-पिता के आदेश का पालन करें।
महाभारत में युद्ध की शुरुआत होने वाली थी। वहीं, अर्जुन मोह के जंजाल में फंसे थे, जिसकी वजह से उन्होंने युद्ध न करने का विचार छोड़ दिया था। ऐसे में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। इस श्लोक का अर्थ यह है कि अगर अर्जुन युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो, तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और युद्ध में सफलता प्राप्त होती है, तो धरती का सुख पा जाओगे। इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो।
महाभारत में कौरव राजा कुरु के वंशज थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई तरह की गलतियां कीं। इसके बाद किसी ने भी उनकी गलतियों से सीख नहीं ली। यही कारण था कि कौरवों को पांडवों का से हार का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उनके वंश का नाश हो गया। इससे यह सीख मिलती है कि गलती करने पर उस काम में सुधार जरूर करना चाहिए। भगवान लक्ष्मण की बातों को सुनकर सुग्रीव को अपनी गलती महसूस हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपने गलती में सुधार करने के लिए भगवन श्रीराम से माफी मांगी, जिसके बाद माता सीता की खोज के लिए सुग्रीव ने वानर सेना को भेजा था।