स्मोकिंग सेहत के लिए बेहद हानिकारक होती है। इससे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचता है। यह एक खतरनाक आदत है, जो आपको मौत के मुंह तक पहुंचा सकती है। धूम्रपान की वजह से आप न सिर्फ लंग कैंसर का शिकार हो सकते हैं, बल्कि वह आपकी स्किन, आंखों और दिमाग के लिए भी हानिकारक हो सकता है। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स भी हमेशा इसे छोड़ने की सलाह देते हैं। हालांकि, स्मोकिंग की लत को छोड़ पाना इतना आसान नहीं होता है।
ऐसे में छोटी-छोटी कोशिशों की मदद से आप इस लत को धीरे-धीरे कम और फिर पूरी करना खत्म कर सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि धूम्रपान छोड़ने के सकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव आपकी आखिरी सिगरेट के 20 मिनट बाद ही नजर आने शुरू हो जाते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे 8 घंटे से लेकर एक हफ्ते कर सिगरेट-बीड़ी न पीने से आपके शरीर में किस तरह के बदलाव नजर आएंगे।
अगर आप आठ घंटे तक बिना स्मोक किए रहते हैं, जो इससे आपके कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल ज्यादा सामान्य स्तर पर लौट आएगा। कार्बन मोनोऑक्साइड सिगरेट के धुएं में मौजूद एक केमिकल है, जो खून में ऑक्सीजन पार्टिकल की जगह ले लेता है, जिससे आपके टिश्यूज को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में जब शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड खत्म हो जाता है, तो ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल हो जाता है और इन टिश्यूज और ब्लड वेसल्स को पोषण मिलता है, जिन्हें स्मोकिंग के कारण कम ऑक्सीजन मिल रही थी।
एक दिन तक स्मोक न करने से आपके शरीर में कई पॉजिटिव बदलाव नजर आते हैं। इससे आपके खून में निकोटीन के लेवल में बहुत थोड़ी मात्रा में कमी आती है। साथ ही नसों और आर्टरीज की सिकुड़न कम हो जाती है, जिससे हृदय तक जाने वाले ऑक्सीजन लेवल में बढ़ोतरी होतहै। इससे आपकी हार्ट फंक्शनिंग बेहतर होती है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाती है।
अगर आप बिना स्मोकिंग के 48 घंटे रह लेते हैं, तो इससे पहले से डैमेज नर्व एंडिंग्स फिर से ठीक होने लगती हैं। इतना ही नहीं आप महसूस करेंगे कि धूम्रपान के कारण जो इंद्रियां पहले सुस्त हो गई थीं, उनमें सुधार हो रहा है। साथ ही आपको एहसास होगा कि आप चीजों को पहले से बेहतर सूंघ और चख पाएंगे धूम्रपान छोड़ने के तीन दिनों के अंदर, आप पाएंगे कि आप पहले से ज्यादा आसानी से सांस ले पा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि फेफड़ों के अंदर ब्रोन्कियल ट्यूब्स रिलेक्स होने लगती हैं और ज्यादा खुलने लगती हैं। इससे कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन के बीच एयर एक्सचेंज भी आसान हो जाता है।