भारत बदलाव के मुहाने पर खड़ा है, और आर्थिक विकास की अगली लहर गांवों से शुरू होने वाली है, जिसे महात्मा गांधी ने भारत की आत्मा माना था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के प्रभावशाली कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करेंगे और उनके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाएंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश अगले दो दशकों में भारत की विकास गाथा को आकार देगा और निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर भी प्रदान करेगा।
देश की 64% आबादी गांवों में रहती है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 44% का योगदान देती है। यह असंतुलन धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिसका श्रेय सरकार के ठोस प्रयासों को जाता है। इन प्रयासों में सन 2000 से अब तक 7.2 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाना, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2.1 करोड़ घर बनाना, 100% ग्रामीण विद्युतीकरण और 73% साक्षरता दर शामिल हैं।
बेहतर कनेक्टिविटी, उच्च शिक्षा तक पहुंच, और कृषि पर कम निर्भरता ग्रामीण भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदल रही है। ग्रामीण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धित में कृषि का योगदान वित्त वर्ष 1994 में 56% से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 40% हो गया है। वहीं, गैर-कृषि गतिविधियों जैसे मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और कंस्ट्रक्शन का योगदान इसी अवधि में 44% से बढ़कर 60% हो गया है। यह बदलाव कृषि से धीरे-धीरे दूरी का संकेत देता है, जो वर्तमान में 41.5% आबादी को रोजगार देने के बावजूद राष्ट्रीय GDP का केवल 16% हिस्सा है।